हेलो दोस्तों आज हम scan algorithm in hindi के बारे में पढ़ेंगे तो चलिए शुरू करते हैं स्कैन एल्गोरिथम जिसे आमतौर पर एलिवेटर एल्गोरिथम के रूप में जाना जाता है। इसे डिस्क हेड के मूवमेंट को optimize करने के लिए व seek time को कम करने के लिए डिजाइन किया गया था।
डिस्क शेड्यूलिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो यह निर्धारित करता है कि डिस इनपुट व आउटपुट को किस क्रम में अरेंज करता है एक अच्छे scheduling seek time को बैलेंस करने के लिए आवश्यक है की डिस्क के रेड में राइट सिर को डाटा ट्रैक के बीच में लगने वाला समय।
इस ब्लॉग में advantages of scan algorithm in hindi, limitation of scan algorithm in hindi, example of scan algorithm in hindi, variations of scan algorithm in hindi और real world application of scan algorithm in hindi के बारे में देखेंगे
Definition of the scan algorithm in Hindi
स्कैन एल्गोरिथम एक डिस्क शेड्यूलिंग विधि है जो डिस आर को एक दिशा में या तो भरी और या आंतरिक ट्रैक की ओर ले जाती है जो उन पर पेंडिंग इनपुट आउटपुट request को पूरा करती है। जब डिस्क आर्म के अंत तक पहुंचता है तो यह दिशा को उल्टा देता है और इसके विपरीत रिक्वेस्ट को हैंडल करता है।
डिस्क की आगे पीछे होने एक लिफ्ट के समान है, जो मंजिलों के बीच ऊपर से नीचे चलती है। तथा दिशा बदलने से पहले एक दिशा में जितने भी request हैं उनका पूरा करती है।
Working of scan algorithm in hindi:
(A) Inital Position:- डिस्क आर्म अपनी वर्तमान स्थिति से शुरू होती है और एक विशिष्ट दिशा में चलती है (या तो डिस्क के ट्रैक पर अंदर की ओर या बाहर की ओर)
(B) Direction of movement:- जैसे-जैसे डिस्क आर्म चुनी हुई दिशा में आगे की ओर बढ़ती है यह रास्ते में मिलने वाली सभी input व output रिक्वेस्ट को पूरा करती है यदि डिस्क आर्म बाहर की और (उच्च संख्या वाले ट्रैक) की ओर बढ़ रही है तो वह उन ट्रैक के किसी भी पेंडिंग के रिक्वेस्ट को पूरा करती है।
(C) Reaching the end:- एक बार जब डिस्क आर्म वर्तमान दशा में अंतिम ट्रैक किया तो सबसे अधिक या सबसे कम संख्या वाले ट्रैक पर पहुंच जाती है तो यह दिशा उलट देता है।
(D) Reverse direction:- उलटने बादडिस्क आर्म विपरीत दिशा में चलती है दूसरे छोर तक पहुंचने पर अपने सामने आने वाली सभी रिक्वेस्ट को पूरा करती है और नए अनुरोध पर यह प्रक्रिया लगातार दोहराई जाती है
Example of working of SCAN algorithm in hindi
माना 200 ट्रैक (0 से ₹199 तक क्रमागत)
मान लीजिए की डिस्क आर्म वर्तमान ट्रैक 50 पर है और निम्नलिखित रिक्वेस्ट पेंडिंग है 10, 90, 20, 130, 70, 80
यदि डिस्क आर्म बहार की और (उच्च संख्या वाले ट्रैक की ओर) बढ़ रहा है तो स्कैन एल्गोरिथम निम्न प्रकार से Process करेगा।
1. डिस्क आर्म्स ट्रेक 50 से ट्रैक 70 पर जाता है और उसे अनुरोध को पूरा करता है।
2. यह उसे अनुरोध को पूरा करते हुए 90 ट्रैक पर prosess जारी रखता है।
3. यह ट्रैक 130 और फिर ट्रैक 180 पर जाता है और इन अनुरोधों को पूरा करता है।
4. डिस्क के अंत(ट्रैक 199) पर पहुंचने पर डिस्क उलट जाती है और कम संख्या वाले ट्रैक की ओर वापस बढ़ाना शुरू कर देती है।
5. वापसी के दौरान यह बच्चे हुए प्रक्रिया ट्रैक 20 में ट्रेक 10 को पूरा करती है।
Key concept of SCAN Algorithm in hindi:-
(A) Directionality: Scan algorithm की एक मुख्य विशेषता directionality है। जिससे डिस्क आर्म चलता है यह दिशा बदलने से पहले सभी request को एक दिशा में करता है जिससे request के लिए एक सुव्यवस्थित अप्रोच होती है।
(B) Fairness: Scan algorithm की एक विशेषता फेयरनेस या निष्पक्षता भी है। जिससे प्रत्येक request का ध्यान रखा जाता है क्योंकि डिस्क आर्म पर आगे वह पीछे चलता है जिससे कभी भी request को लंबे समय तक इंतजार तक नहीं करना पड़ता यह रियल टाइम सिस्टम के लिए उपयोगी है, जहां fairness की आवश्यकता होती है।
(C) seek time optimisation: डिस्क आर्म को रैखिक तरीके से घूम कर एक ही दिशा में एक ही स्वैप में request करके स्कैन एल्गोरिथम संपूर्ण Seek टाइम को कम कर देता है मुख्यतः First come first serve (FCFS) जैसे एल्गोरिथम की तुलना में जिसमें रेंडम arm movement भी शामिल हो सकते हैं।
(D). Elevator Analogy: स्कैन एल्गोरिथम की तुलना मुख्यतः एविएटर से की जाती है जिसमें यह देखा जाता है कि दोनों एल्गोरिथम कैसे काम करती हैं इसमें एलिवेटर आमतौर पर एक ही दिशा में चलती है और बीच में आने वाली सभी रिक्वेस्ट को पूरा करती जाती है और उसे दिशा में वह अंतिम पर पहुंचने पर वापस से चलना प्रारंभ कर देती है और अधिक मात्रा में रिक्वेस्ट को लेती है जबकि स्कैन एल्गोरिथम डिस्क आर्म को एक रैखिक स्वीप में ले जाती है और दिशा बदलने से पहले एक रिक्वेस्ट को पूरा करती है।
Variants of scan Algorithm in hindi:-
Circular Scan (C-scan) algorithm in hindi:
C-Scan सर्कुलर स्कैन का ही एक रूप है जहां आर्म केवल एक दिशा में चलती है। लेकिन जब यह डिस्क के अंत तक पहुंच जाती है तो यह विपरीत दिशा में किसी अनुरोध को पूरा किए बिना डिस्क की शुरुआत में वापस चली जाती है।
यह इसका फायदा यह है कि यह अधिक सामान प्रतीक्षा समय प्रदान करती है क्योंकि प्रत्येक अनुरोध को उसे स्थिति की परवाह किए बिना सेवा दिए जाने की संभावना होती है। यह उन systems के लिए अच्छी है जहां पर waiting time की fairness और एकरूपता महत्वपूर्ण हो।
Look Algorithm in hindi:-
यह स्कैन एल्गोरिथम का मोडिफाइड वर्जन है। जिसमें डिस्क आर्म केबल किसी दिए गए दिशा में अंतिम अनुरोध तक ही आगे बढ़ता है। और पीछे की ओर मुड़ता है यदि छोड़ के अंत में कोई अनुरोध प्रतीक्षा नहीं कर रहा है तो यह आर्म डिस्क के अंत में जाने से रोकता है डिस्क आर्म जब तक आगे बढ़ता है।
जब तक वह उसे दिशा के सबसे दूर वाले अनुरोध तक नहीं पहुंच जाता है इसका फायदा यह होता है कि आर्म का अनावश्यक मूवमेंट काम हो जाता है जिससे सीख टाइम कम हो जाता है और दक्षता में सुधार होता है।
C look Algorithm in hindi:-
C look, C-Scan व Look के विचारों को जोड़ता है जिससे डिस्क आर्म केवल एक दिशा में सबसे दूर के अनुरोध तक चलती है जैसे लुक एल्गोरिथम चलती है लेकिन यह पीछे जाने की बजाय इस दिशा में request के लिए शुरुआत से दोबारा स्टार्ट हो जाती है आराम एक दिशा में चलती है और उसे दिशा के अंतिम अनुरोध पर रूकती है इससे सभी रिक्वेस्ट के लिए एक समान प्रतीक्षा समय सुनिश्चित करके fairness में सुधार होता है।
यह unused Disk space में अनावश्यक यात्रा को काम करता है इस एल्गोरिथम का उपयोग ज्यादातर उसे जगह किया जाता है जहां अनुरोध डिस्क पर बिखरे होते हैं और निष्पक्षता महत्वपूर्ण होती है।
N-Step Scan Algorithm in hindi:-
N स्टेप स्कैन लंबित रिक्वेस्ट की कतार को अनुरोधों के छोटे-छोटे टुकड़ो में विभाजित करता है जिससे प्रत्येक खंड को स्कैन एल्गोरिथम का उपयोग करके समझा स्वतंत्र रूप से manage किया जाता है इसमें अनुरोधों को छोटे-छोटे बैच में विभाजित किया जाता है जिससे प्रत्येक में n अनुरोध हो सकते हैं।
डिस्क आर्म प्रत्येक Batch के लिए स्कैन पास पूरा करता है वह इसके अंदर के सभी रिक्वेस्ट को accept करता है नई रिक्वेस्ट को अगले बैच में जोड़ा जाता है और उनके बैच तक पहुंचाने के बाद ही उनकी सर्विस की जाती है बच्चों की स्वतंत्रता रूप से संसाधित करके request के waiting टाइम की संभावना को काम करता है इसका उपयोग उच्च लोड वातावरण या ऐसे सिस्टम के लिए जहां रिक्वेस्ट बहुत अधिक मात्रा में आती है वहां किया जाता है।
F Scan algorithm in hindi:
फ्रिज स्कैन एक वेरिएशन है इसमें रिक्वेस्ट की कतार फ्रोजन होती है जबकि डिस्क आर्म एक स्कैन पास करता है। वर्तमान स्कैन पास के दौरान आने वाली request वर्तमान में चल रही कतार में नहीं जोड़े जाते हैं बल्कि अगले पास के लिए नई कतर बनाते हैं।
प्रत्येक स्कैन पास की शुरुआत में अनुरोध का सेट फ्रिज हो जाता है जिससे डिस्क आर्म पास पूरा होने तक केवल फ्रिज किए गए अनुरोधों की सर्विस करता है जब भी नहीं request आती है तो उसे अगले पास तक स्थगित किया जाता है।
इसका प्रमुख लाभ वर्तमान पास पर आने वाले रिक्वेस्ट के प्रभाव को काम करता है जिससे यह हाई रिक्वेस्ट आने वाले सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बन जाता है जिससे यह उच्च इनपुट व आउटपुट वाले रिक्वेस्ट वाले वातावरण में जहां प्रदर्शन स्थिरता आवश्यक है वहां अच्छे से कार्य करता है।
Advantage of scan algorithm in Hindi
(A) Fairness: स्कैन यह निर्धारित करता है कि सभी रिक्वेस्ट को पूरा किया जाए जिससे की प्रक्रिया के स्किप की संभावना को कम किया जा सके।
(B) Predictable Response Time: एक ही दिशा में आगे बढ़ने व पीछे हटने की ओर से की जाने वाली स्कैन अक्षर दिशा में बदलने वाले एल्गोरिथम की तुलना में अधिक पूर्व अनुमानित प्रतिक्रिया समय प्रदान करता है।
(C) Reduce Seek Time: स्कैन एल्गोरिथम डिस्क पर व्यवस्थित तरीके से रिक्वेस्ट को पूरा करके total seek Time को कम करता है जिससे डिस्क आर्म की आगे पीछे की गति कम हो जाती है।
(D)Efficiency with heavy workload: जब कार्य का लोड अधिक होता है तो स्कैन एल्गोरिथम अनुक्रमित रूप से अनुरोध या रिक्वेस्ट को संसाधित करके इनपुट व आउटपुट रिक्वेस्ट को अधिक कुशलता से मैनेज करता है जो सिख ऑपरेशन में लगने वाले समय को कम कर देता है।
(E)Simple to implement: स्कैन एल्गोरिथम सीधा है और इसमें विभिन्न सिस्टम पर लागू करना काफी आसान होता है और इसे उपयोगकर्ता के लिए समझना भी आसान है।
(F) Consistent performance: स्कैन एल्गोरिथम रिक्वेस्ट को व्यापक रूप से complete करके विभिन्न प्रकार के कार्यभारों को बैलेंस करता है जो की संपूर्ण डिस्को कर करता है।
(G) Adapability: स्कैन एल्गोरिथम के विभिन्न वेरिएंट जैसे C scanऔर Look scan के आधार पर निर्मित होते हैं जिससे यह विभिन्न कार्यभार आवश्यकता के अनुसार ढल जाता है जैसे निष्पक्षता को प्राथमिकता देना या अनआवश्यक ब्लॉक को कम करना।
(H) Ideal for real time system: स्कैन की पूर्व अनुमानित और निष्पक्षता इस रियल टाइम या महत्वपूर्ण सिस्टम के लिए उपयुक्त बनती है जहां पर सभी रिक्वेस्ट को एक निश्चित सीमा में पूरा करना आवश्यक होता है
Improve सभी ट्रैक को व्यवस्थित रूप से कर करके स्कैन किसी निश्चित अवधि में सेवा किए गए अनुरोध की कुल संख्या बढ़ा देते हैं जिससे सिस्टम Throughput में सुधार होता है।
(I)Avoid head movement: कुछ अन्य एल्गोरिथम के विपरीत जिम अधिक रेंडम स्पीड होती है उनमें स्कैन एल्गोरिथम यह सुनिश्चित करता है कि सिर की मूवमेंट का प्रभावी ढंग से उपयोग हो क्योंकि डिस आर हमेशा बदलने से पूर्व एक पूर्ण स्वीकृत पूरा करता है।
Limitations of scan algorithm in hindi:
(A) Long wait times for edge request: डिस्क के सिरों (सबसे बाहरी वह सबसे भीतरी ट्रैक) के पास रिक्वेस्ट को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है खासकर अगर डिस्काउंट वर्तमान में विपरीत दिशा में घूम रहा हो।
(B) Inefficiency with skewed requests: जब request डिस्क के एक तरफ कलेक्टर की जाती है तो scan एल्गोरिथम अभी भी आर्म को सभी ट्रैक पर ले जाता है जिसके परिणाम स्वरुप अनावश्यक रूप से सीख ऑपरेशन होता है।
(C) Higher average seek time than SSTF: सही होने के बावजूद भी स्कैन एल्गोरिथम की तुलना में Shortest seek time first (SSTF) टाइम स्कैन से कम होता है और स्कैन का ज्यादा होता है
(D) unbalanced waiting time: डिस्क आर्म की वर्तमान दशा में करीब के रिक्वेस्ट को तेजी से सर्विस किया जाता है जबकि विपरीत दिशा में मौजूद रिक्वेस्ट को काफी समय तक इंतजार करना पड़ता है जिससे यह संतुलित प्रक्रिया बन जाती है।
(E) Not optimized for real time task: रियल टाइम सिस्टम जो किसी रिक्वेस्ट के लिए न्यूनतम समय को प्राथमिकता देते हैं जबकि स्कैन को व्यवस्थित मूवमेंट हमेशा उपयुक्त नहीं होती।
(F) Potentially larger queue size: स्कैन एल्गोरिथम में यदि कोई रिक्वेस्ट लगातार वर्तमान आरंभ दिशा के विपरीत दिशा में आते हैं तो अनुरोध की एक लंबी क्यों बन जाती है जिससे प्रोसेसिंग में देरी होती है।
(G) Less efficient for SSD: स्कैन को मूविंग पार्ट वाली पारंपरिक हार्ड डिस्क के लिए बनाया गया था इसलिए यह है एसएसटी के साथ उतनी सटीकता से काम नहीं कर पाती।
Real time Application of scan algorithm:
(A) Database management system (DBMS): डेटाबेस में विशेष रूप से बड़े रिलेशनल डाटाबेस disk access pattern’s होते हैं और अक्सर अलग-अलग डिस ट्रेक पर संग्रहीत डाटा पढ़ा लिखा जाता है स्कैन एल्गोरिथम इन ऑपरेशन को ऑप्टिमाइज करने में मदद करता है खासकर अनुक्रमित स्कैन के दौरान या कोई उपयोग करता एक साथ बड़े डाटा सेट को करी करते हैं इससे स्कैन seek time को काम करके Throughput में सुधार करता है।
(B) Operating system Disk scheduling: आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम पारंपरिक हार्ड डिस्क को पढ़ने में लिखने के संचालक को मैनेज करने के लिए जी डिस्क शेड्यूलिंग का उपयोग किया जाता है वह स्कैन एल्गोरिथम यह रिक्वेस्ट को एक क्रम में लगाकर प्रक्रिया को बेहतर बनाती है और प्रक्रिया के लिए निष्पक्षता का निर्धारण करती है।
(C) Web servers and cloud store:अधिक मांग वाले सरवर और क्लाउड स्टोरेज में उपयोगकर्ताओं से आने वाले बड़े पैमाने की रिक्वेस्ट को मैनेज किया जाता है यह सुनिश्चित करता है की पिक एक्सेस समय के दौरान भी फाइलों का वितरण आसानी वह कुशलता से हो।
(D) video streaming services: वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म में बिना किसी रूकावट के प्लेबैक देने के लिए ज्यादातर डाटा रीडिंग की आवश्यकता होती है इसमें स्कैन सिख टाइम को काम करके डिस्क से व्यवस्थित डाटा को वापस प्राप्त करना सक्षम बनाता है जिससे सुचारू वीडियो स्ट्रीमिंग देना या प्रदान करना आसान हो जाता है खासकर जब कोई वीडियो एक्सेस करने वाले कई उपयोग करता हूं।
Conclusion:
आशा है ब्लॉग के महत्वपूर्ण बिंदु advantages of scan algorithm in hindi, limitation of scan algorithm in hindi, example of scan algorithm in hindi, की जानकारी आपको पसंद आयी होगी और किसी भी कंप्यूटर के रिलेटेड टॉपिक पर जानकारी चाहिए तो कमेंट जरूर करे।
Reference: https://www.geeksforgeeks.org/c-look-disk-scheduling-algorithm/